"श्री दुर्गा माता दरबार हिंदू धर्म में शक्ति की सर्वोच्च देवी माँ दुर्गा का दिव्य निवास स्थल है। मां दुर्गा को अष्टभुजा (आठ भुजाओं वाली) के रूप में पूजा जाता है, जिनके हाथों में शंख, चक्र, तलवार, त्रिशूल, धनुष-बाण, कमल और वरद मुद्रा जैसे दिव्य आयुध सुशोभित होते हैं।दुर्गा माता के दरबार में देवी अपने सिंह वाहन पर विराजमान होती हैं, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है। दरबार में माता के साथ उनकी चार संतानें - गणेश जी, कार्तिकेय, लक्ष्मी और सरस्वती भी मौजूद रहती हैं, जो क्रमशः बुद्धि, शक्ति, समृद्धि और ज्ञान का प्रतिनिधित्व करती हैं।दुर्गा माता का दरबार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था, जिससे उन्हें 'महिषासुरमर्दिनी' के नाम से भी जाना जाता है।नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गा माता के दरबार की विशेष सजावट की जाती है और भक्तगण गरबा-डांडिया, दुर्गा चालीसा, आरती और हवन के माध्यम से माता की आराधना करते हैं। दशहरा (विजयादशमी) के दिन विशेष पूजा होती है, जो माता दुर्गा की महिषासुर पर विजय का प्रतीक है।दुर्गा माता के दरबार के दर्शन और पूजा से भक्तों को शक्ति, साहस, आत्मविश्वास, समृद्धि और सर्व बाधाओं से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। माता के भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है और जीवन में सुख-शांति का संचार होता है।"